Wednesday 1 January 2014

31 दिसम्बर की रात ( मेरी डायरी से )



चंद साँसें ही बची .......इस साल का गमन होगा,
विगत को भूल ......नवागत का अभिनंदन होगा ।
पर सोचते हैं ........अगले बरस क्या नया होगा !
होगा क्या कुछ नवीन और कोई परिवर्तन होगा ?
धर्मी, धर्म की आड़ में क्या यूँ ही खेल दिखायेगा ?  
मानव बम से धर्म का ऐसे ही फिर हनन होगा !   
नव-युग की चेतना का संचार से संचालन होगा, 
बिग बॉस परिवार में संस्कारों पे क्या कफन होगा !
त्रिमुखी सिंह-चिन्ह ........क्या दहाड़ेगा फिर अब, 
जवान का सीमा पे आत्मविश्वास उन्नयन होगा ?
काट देश की मर्यादा को, वो साथ अपने ले गए ! 
उनके दुष्कृत्यों का सिलसिला क्या अब खत्म होगा ? 
उसे कश्मीर चाहिए और वो मेंढक की आँख गड़ाये,  
सीमा पर सच्ची शांति का अब क्या हवन होगा ? 
साल दर साल यूं गुजरे, 63 बरस का देश हुआ ! 
क्या उस मरी चिड़िया का फिर से अब जन्म होगा ?
फिर भगत, आजाद, पटेल और तिलक से आएंगे,
सच्चे अर्थों में शायद देश तभी स्वावलंब होगा | 
दहकाए शोले आवाजों में, और तप के कुंदन बने, 
तब सत्य का सार्थक आधार ले कर सृजन होगा |
धरा-आकाश, आक्रोशित हो पड़े, बात जो कही जाए,
रचनात्मकता के स्वर में सरोकारों का गुंजन होगा | 
हाँ यही विचार मेरा जो प्रश्न सदा सामने रखता है !
देखें इन प्रश्नों का, किसके ह्रदय में प्रस्फुटन होगा ?
चंद साँसें ही बची ...........इस साल का गमन होगा,
विगत को भूल ..........नवागत का अभिनंदन होगा ।