Thursday 14 March 2013

सच और झूठ ...



सच और झूठ का नीति-शास्त्र,
कई अनदेखे राज़ खोल देता है । 
पटापट झूठ बोलने वाले की,
एक रोज़ पोलपट्टी खोल देता है ।

झूठ कितना सुनहरा हो मिले,
समय का जौहरी, खोटा बोल देता है । 
अंश भर की भी सत्यता रही अगर, 
फिर वो परख कर, सही मोल देता है । 

सोने की कीमत, सच को ही मिलती,   
झूठ तो लोहे के दाम जाता है ।  
चमक असल की ही असली, 
नकली तो झट मुरझा जाता है । 

                      



Friday 8 March 2013

कैसे नर/ नारी की सामानता की बात कहें ??



यदि समानता की बात कहें तो कब नर नारी के समकक्ष हो पाता है ?
नारी ही प्रधान है ! समयकाल की चुनौतियों में ही स्पष्ट हो जाता है ।
क्षणिक आलिंगन में निवृत हो, फिर करवट ले मुँह घुमाता है ! 
मादा की तरह बीज को सहेज कब अपना दायित्व निभाता है ?
नर का योग, सिर्फ परमानन्द की भूख ...!
सृजन का जिम्मा तो सिर्फ नारी के ही हिस्से आता है ।
उसका धीरज- स्नेह ही विकट परिस्थितियों में खरा उतर पाता है 
नर ... ! 
अन्धत्व में वशीकृत होकर आकर्षण में गिरता और संभल ना पाता है । 
नारी ही असल पुरुषार्थ का अर्थ समझा पाती है ...
पुरुष डग- डग भ्रमित हो, चकराता और भटक जाता है ।
कैसे कोई सामानता के परिमाप स्थापित करे ?

नारी ही तो युग- युगांतर से निर्माण का प्रथम सूत्र है
, 
हर शाश्वत कथन में यही कहा जाता है ।
नैतिक मूल्य हो या फिर जीवन दर्शन ! नर नारी के समकक्ष तो क्या ... दूर दूर तक, 
स्पष्ट नही दिख पाता है ....।

इतनी विषमताओं के बाद भी कैसे समानता की बात कहें ?
जबकि चिर काल से, समानता का ही सिद्धांत कहा जाता है ।
:अनुराग त्रिवेदी ...एहसास
Watever u do, u do it wth grace, style warmth & smile!                                                          
          **Happy Women's Day!  **                         

Monday 4 March 2013

" यादों का सफ़र ! "

रचना : " यादों का सफ़र !"
स्वर : स्व-स्वर (एहसास)

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